हिंदी कहानियां - भाग 104
मच्छर की कहानी
मच्छर की कहानी क्या तुमको पता है कि केवल मादा मच्छर ही काटती हैं ? खून पीती हैं ? बहुत पहले की बात है। वियतनाम के एक गाँव में टॉम और उसकी पत्नी न्हाम रहते थे। टॉम खेती करता था और पत्नी रेशम के कीड़े पालती थी। टॉम बड़ा मेहनती था, पर न्हाम जिंदगी में तमाम ऐशो-आराम की आकांक्षी थी। एक दिन न्हाम एकाएक बीमार पड़ गई। टॉम उस वक्त खेतों में काम कर रहा था। जब वह घर लौटा, उसने पाया कि न्हाम अब इस दुनिया में नहीं है। टॉम घुटने टेककर ईश्वर से प्रार्थना करने लगा। तभी उसे आकाशवाणी सुनाई दी कि वह समुद्र के बीच स्थित एक विशाल पहाड़ी पर न्हाम का शव ले जाए। कई दिनों की यात्रा के बाद टॉम न्हाम के शव के साथ उस पहाड़ी पर पहुँचा और एक खूबसूरत फूलों के बाग में ले जाकर शव को लिटा दिया। उसकी पलकें थकान से झपक ही रही थीं कि सहसा सफेद बालों तथा तारों-सी चमकती आँखोंवाले एक महापुरुष वहाँ प्रकट हुए। उन महापुरुष ने टॉम से कहा कि वह उनका शिष्य बनकर इसी जगह शांति से रहे। पर टॉम ने कहा कि वह अपनी पत्नी न्हाम को बेहद प्यार करता है और उसके बगैर रह नहीं सकता। महापुरुष टॉम की इच्छा जानकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा कि वह अपनी उँगली काटकर खून की तीन बूँदें न्हाम के शव पर चुआ दे। टॉम ने वैसा ही किया। तभी जादू-सा हुआ। खून की बूँदे पड़ते ही न्हाम उठ बैठी। तब महापुरुष ने न्हाम को चेतावनी दी कि अगर वह ईमानदार और मेहनती नहीं बनेगी तो उसे सजा भुगतनी पड़ेगी। यह कहकर वह महापुरुष वहाँ से अचानक गायब हो गए। टॉम और न्हाम नाव पर बैठकर चल दिए। रास्ते में एक गाँव के किनारे उन्होंने नाव रोकी। टॉम खाने-पीने का कुछ सामान खरीदने चला गया। नाव में बैठी न्हाम टॉम के लौटने की प्रतीक्षा कर रही थी। तभी एक विशाल सुसज्जित नाव उसके पास आई। उस नाव का मालिक एक अमीर था। उसने न्हाम को अपनी नाव पर आकर चाय पीने की दावत दी। चायपान खत्म हुआ तो अमीर ने न्हाम से उसकी खूबसूरती की प्रशंसा की और उससे शादी का प्रस्ताव रखा। यह भी वादा किया कि वह उसे अपने महल की एकमात्र रानी बनाकर रखेगा। न्हाम का तो सपना ही था कि वह धनी महिला बने, उसकी सेवा में ढेरों नौकर चाकर हों। वह चट से उस अमीर का प्रस्ताव मान बैठी। टॉम जब गाँव से चीजें खरीदकर लौटा तो एक बूढ़े नाविक ने उसे किस्सा सुनाया। टॉम न्हाम की धोखेबाजी से आगबबूला हो उठा। वह फौरन उस अमीर के घर की तरफ रवाना हुआ। कुछ ही दिनों में वह वहाँ जा पहुँचा। उसके महल में पहुँच उसने एक नौकर से प्रार्थना कि कि वह महल के मालिक से मिलना चाहता है। तभी अचानक न्हाम फूल तोड़ने के लिए बगीचे में आई और टॉम को वहाँ देख चकित रह गई। उसने टॉम से कहा कि वह यहाँ बेहद सुखी है और यहाँ से कहीं नहीं जाना चाहती। टॉम ने कहा कि वह उसे कतई वापस नहीं ले जाना चाहता। वह तो अपने खून की तीन बूँदें वापस लेने आया है। वह न्हाम उसे लौटा दे। बस ! न्हाम इस बात से बेहद खुश हुई, ‘चलो खून की तीन बूँदें देकर ही छुटकारा मिल जाएगा।’ ऐसा कहकर उसने तुरंत अपनी एक उँगली में गुलाब का काँटा चुभोया और टॉम की बाँह पर खून टपकाने लगी। जैसे ही खून की तीसरी बूँद गिरी, न्हाम का शरीर सिकुड़ने लगा और वह मादा मच्छर के रूप में तब्दील हो गई। यही न्हाम की सजा थी। वह मादा मच्छर बनकर टॉम के सिर पर मँडराने लगी, जैसे भन्नाकर कह रही हो, ‘मुझे खून लौटा दो ! मैं माफी माँगती हूँ, मैं माफी माँगती हूँ !!’’ धोखाधड़ी हमें मौत की ओर ले जाती है।